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Fact Check
सोशल मीडिया पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके समर्थक एक तस्वीर शेयर कर दावा कर रहे हैं कि गुजरात की शिक्षा व्यवस्था बदतर स्थिति में है। वायरल तस्वीर में एक बिल्डिंग की दीवार पर कई लोग चढ़ते हुए नज़र आ रहे हैं।
एक ट्वीटर यूजर ने तस्वीर को गुजराती भाषा के कैप्शन के साथ ट्वीट किया था, जिसका हिंदी अनुवाद है, ‘कमल का ‘क’ बिल्कुल है, लेकिन शिक्षा के ‘श’ का कोई सवाल ही नहीं है! 900 विश्वविद्यालय और 40 हजार कॉलेज, देश में शिक्षा एक कमोडिटी बन चुका है, खरीदार और बेचने वाला दोनों बेशर्म हैं। पेपर लीक, फर्जी डिग्री सर्टिफिकेट जैसे वायरस से त्रस्त है शिक्षा व्यवस्था।’
हालाँकि, इस यूजर ने बाद में अपना ट्वीट डिलीट कर दिया, लेकिन उसके इस ट्वीट को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोट ट्वीट करते हुए लिखा, ‘भाजपा के लोग भी गुजरात की चरमराती शिक्षा पर प्रश्न उठा रहे। पार्टी लाइन से ऊपर उठकर गुजरात में अच्छी शिक्षा के लिए आवाज़ उठने लगी है। 27 साल में भाजपा अच्छी शिक्षा नहीं दे पायी। गुजरात के लोगों और सभी पार्टियों को साथ लेकर “आप” सरकार गुजरात में भी दिल्ली की तरह अच्छी शिक्षा देगी।’
ट्वीट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है
इसके अलावा एक अन्य ट्विटर यूजर ने भी वायरल तस्वीर को शेयर किया है।
दरअसल, पंजाब में प्रचंड बहुमत पाने के बाद आम आदमी पार्टी इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। बीते सप्ताह आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अहमदाबाद में एक मेगा रोड शो के जरिए गुजरात में अपने चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया। इस दौरान केजरीवाल ने दिल्ली में अपनी सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था में किए गए सुधारों का जिक्र करते हुए आम आदमी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की।
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर दावा किया जा रहा है कि गुजरात की शिक्षा व्यवस्था बदतर स्थिति में है।
गुजरात की शिक्षा व्यवस्था बदतर स्थिति में है, दावे के साथ वायरल हुई तस्वीर की सत्यता जांचने के लिए हमने तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज की मदद से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें मीडिया वेबसाइट ‘फर्स्टपोस्ट’ द्वारा 23 मार्च, 2015 को प्रकाशित एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के अनुसार, ‘बिहार के खगड़िया और हाजीपुर में बड़े पैमाने पर परीक्षा धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ था, जब बिहार बोर्ड की परीक्षा में शामिल दसवीं कक्षा के छात्रों के मित्र और परिजनों द्वारा छात्रों को नकल सामग्री पास करने के लिए, स्कूल की बिल्डिंग की दीवारों पर चढ़ते हुए पकड़ा गया था।”
बतौर रिपोर्ट, इस घटना की ओर किसी का ध्यान नहीं गया होता अगर बिहार के वैशाली जिले में एक स्थानीय हिंदी दैनिक के लिए काम करने वाले स्थानीय फोटो पत्रकार राजेश कुमार ने इसे अपने कैमरें में कैद नहीं किया होता। रिपोर्ट में वायरल तस्वीर संलग्न है, जिसका क्रेडिट समाचार एजेंसी पीटीआई को दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस विषय पर पत्रकार राजेश कुमार ने अखबार ‘द हिंदू’ से कहा कि उन्होंने ये तस्वीर हाजीपुर में अपने ब्यूरो को भेजा था। कुमार को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी ये तस्वीर ‘वायरल’ हो जाएगी और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा बिना उन्हें क्रेडिट दिए प्रकाशित की जाएगी।
पड़ताल के दौरान हमें ईटीवी भारत के फेसबुक पेज पर 17 फरवरी, 2021 को प्रकाशित एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, नकल के लिए बदनाम बिहार में मैट्रिक परीक्षा को लेकर सख्ती की गई है। बतौर रिपोर्ट, साल 2015 में बिहार के वैशाली में हुई परीक्षा के दौरान की एक तस्वीर ने राज्य की देश-विदेश में काफी किरकिरी कराई थी। तस्वीर सामने आने के बाद उस केंद्र से 700 परीक्षार्थियों को निष्कासित कर दिया गया था और आठ पुलिकर्मियों को भी निलंबित किया गया था। ईटीवी की रिपोर्ट में वायरल तस्वीर को देखा जा सकता है।
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पड़ताल के दौरान हमें यह वायरल तस्वीर इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार संतोष सिंह की अक्टूबर 2015 में प्रकाशित किताब, “Ruled or Misruled: Story and Destiny of Bihar” के कवर पेज पर भी प्राप्त हुई। Newschecker से बातचीत में संतोष सिंह ने बताया, “वायरल तस्वीर बिहार की है, जिसे बिहार के एक स्थानीय पत्रकार ने क्लिक किया था। यह वाक्या मार्च 2015 में वैशाली जिले के हाजीपुर में महनार के एक परीक्षा केंद्र का है, जब वहां कई लोगोंं को नकल कराने का प्रयास करते हुए पकड़ा गया था।”
इस तरह हमारी पड़ताल में स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर वायरल हुई यह तस्वीर गुजरात की नहीं बल्कि बिहार की है।
Our Sources
Report Published by Firstpost on 23rd March 2015
Report Published by ETV on 17 February 2021
Book of Journalist Santosh Singh
Quote from Journalist Santosh Singh
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