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Fact Check
भारत में बलात्कार जैसी घिनौनी घटना आये दिन सुर्खियों में रहती है। देश की महिलाएं कई मौकों पर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। देश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग हर तरफ सुनाई दे रही है। हमारे देश में बलात्कार के दोषियों को सजा सुनाने में वर्षों लग जाते हैं। पीड़िता और परिवार वाले कोर्ट के चक्कर काटते रह जाते हैं, लेकिन सजा कब मिलेगी किसी को पता नहीं होता। ऐसे में सोशल मीडिया पर रेप के आरोपियों को लेकर दावा किया जा रहा है, “जिसका इंतजार था वह मोदी सरकार ने कर दिखाया है। अब हर बलात्कारी को फांसी की सजा मिलेगी। इस अध्यादेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुहर लगा दी है। अब मानसिक वर्चुअल बलात्कारियों के लिए भी कड़े कानून की व्यवस्था होनी चाहिए।”
इस दावे को अभी तक सैकड़ों यूजर्स द्वारा रिट्वीट किया गया है और हजारों लोगों द्वारा पोस्ट को लाइक भी किया गया है।
इस दावे को फेसबुक और ट्विटर पर अलग-अलग यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।
शेयरचैट पर भी इस दावे को कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।


Crowd Tangle टूल पर किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि वायरल दावे को सोशल मीडिया पर सैकड़ों यूज़र्स द्वारा शेयर किया गया है।

हमारे आधिकारिक WhatsApp नंबर (9999499044) पर भी वायरल दावे की सत्यता जानने की अपील की गई थी।
वायरल दावे के आर्काइव वर्ज़न को यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है।
देश में रेप के आरोपियों को फांसी की सजा दिए जाने वाले अध्यादेश की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। Google Keywords Search की मदद से खंगालने पर हमें 22 अप्रैल 2018 को अमर उजाला और हिंदुस्तान द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट्स मिली। इसके मुताबिक, 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार करने वालों को मृत्यु दंड की सजा देने की व्यवस्था की गई थी साथ ही यह भी बताया गया है कि इस कानून को अगले 6 महीने में संसद के दोनों सदनों से पास भी कराना है। बच्चियों से रेप के गुनहगारों को अब सख्त कैद से लेकर फांसी तक की सजा देने का रास्ता साफ हो जाएगा। कठुआ और इंदौर में मासूम के साथ रेप होने के बाद सरकार के ऊपर आरोपियों को सजा देने का दवाब बना हुआ था। 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामले में 20 वर्ष कारावास और अधिकतम फांसी की सजा का प्रवाधान किया गया था। लेकिन इन रिपोर्ट्स में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि रेप के आरोपियों को फांसी दी जाएगी।
वायरल दावे से संबंधित हमें कोई ठोस जानकारी नहीं मिली, जिससे यह साबित होता हो कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बलात्कारियों के खिलाफ अध्यादेश पास किया है। अगर इस तरह का अध्यादेश पास किया गया होता तो यह खबर मेनस्ट्रीम में जरूर होती। पूरे देश के लिए यह सबसे बड़ी खबर होती।
पड़ताल के दौरान हमने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को खंगाला। खोज के दौरान हमें उनके ट्विटर हैंडल पर वायरल दावे से संबंधित कोई जानकारी नहीं मिली। यदि सरकार रेप के आरोपियों के खिलाफ फांसी का अध्यादेश ला रही होती या इसको मंजूरी मिली होती तो इसकी जानकारी उनके ट्विटर हैंडल पर जरूर होती।
अलग-अलग कीवर्ड्स की मदद से खोजने पर हमें DD News के आधिकारिक YouTube चैनल पर 23 मार्च 2020 को अपलोड की गई एक वीडियो मिली। वीडियो में कानून में बदलाव को लेकर कोई बिल पास नहीं किया गया है।
संसद के मॉनसून सत्र में कृषि, श्रम कानून, कोरोना, ‘आत्मनिर्भर भारत’ आर्थिक पैकेज, बैंक और टैक्स जैसे बिल पास हुए थे। इसमें कहीं भी रेप के खिलाफ फांसी का कानून बनाए जाने जैसा कोई भी प्रस्ताव नहीं रखा गया था।
अधिक खोजने पर हमें Lok Sabha TV के आधिकारिक YouTube चैनल पर 1 फरवरी 2019 को अपलोड की गई वीडियो मिली। इस वीडियो में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, 26 मिनट 24 सेकेंड पर बच्चों से बलात्कार के अपराधियो को दंडित करने करने के लिए एक कानून की बात कर रहे हैं। जिसमें उनको यह बोलते हुए सुना जा सकता है, “किसी नाबालिग के साथ बलात्कार करने वाले व्यक्ति को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया है।”
वायरल दावे की तह तक जाने के लिए हमने गगूल की मदद से रेप से संबंधित जजमेंट को खोजना आरंभ किया। पड़ताल के दौरान हमें Ministry of Law and Justice द्वारा जारी की गई धारा 376 (Section 376) की जजमेंट (Judgment) मिली। इसके मुताबिक किसी भी महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी पर धारा 376 के तहत मुकदमा चलाया जाता है। किसी भी महिला के साथ बलात्कार किया जाना भारतीय कानून के तहत गंभीर श्रेणी में आता है। धारा 376 के कई रूप हैं। इस जजमेंट में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि रेप के सभी दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जाएगी। दरअसल यह केवल कोर्ट पर निर्भर करता है कि वह दोषी को फांसी की सजा सुनाएगी या उम्र कैद। यह केवल रेप के अलग-अलग मामलों पर निर्भर करता है कि किस आरोपी को किस तरह की सजा दी जाएगी। अभी तक ऐसा कोई जजमेंट नहीं आया है, जिसमें कहा गया हो कि अब हर बलात्कारी को फांसी की सजा दी जाएगी। दरअसल यदि आरोपी ने पीड़िता का बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी, जला दिया या फिर उसके प्राइवेट पार्ट को नष्ट किया हो तो, यह उस आरोपी द्वारा किए गए अपराध पर निर्भर करता है कि कोर्ट उसे किस तरह की सजा सुनाएगी। लेकिन बहुत ही मुश्किल और ऐसे कम मामले हैं, जिसमें दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है।
वायरल दावे की तह तक जाने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेंद्र चौहन से संपर्क किया। बातचीत में उन्होंने हमें बताया, “अभी तक इस तरह का कोई भी कानून नहीं बना है, जिसमें रेप के सभी दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जाए। कुछ एक मामलों में ही दोषी को फांसी की सजा सुनाई जाती है जैसे, मासूम बच्ची के साथ रेप कर उसकी हत्या कर दी गई हो, किसी युवती के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या की गई हो या फिर उसके प्राइवेट पार्ट को नष्ट कर दिया हो। इस तरह के मामलों में हो सकता है कि आरोपी को फांसी की सजा सुना दी जाए। लेकिन ऐसा नहीं है कि रेप के सभी दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जाए। यह पूरी तरह से आरोपी के अपराधों पर निर्भर करता है कि उसे कितना फाइन देना है और उसे कितने सालों की सजा दी जाएगी।”
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दावे का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि देश में सभी बलात्कारियों को फांसी की सजा देने का कोई कानून नहीं बनाया गया है। हमारी पड़ताल में यह भी पता चला कि मौजूदा समय में ना तो इस तरह का कोई अध्यादेश पास किया गया है और ना ही ऐसे किसी अध्यादेश को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी है। सोशल मीडिया पर मनगढंत दावे शेयर किए जा रहे हैं।
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